गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

रात बहुत जज्बाती होगी

शाम धुंधलके में टहनी पर
चिड़िया कोई गाती होगी
मित्र हमारे पीछे अपनी
तन्हाई बतियाती होगी
एक कसक यादों की मन में
वही तुम्हारी थाती होगी
याद किसी की आती होगी

चाँद उफक पर धीरे धीरे
नज़रों से गिर जाता होगा
अश्रु मचल कर पलकों पलकों
अंधियारा घिर आता होगा
देर रात जलती आँखों में
नींद नहीं फिर आती होगी
रात बहुत जज्बाती होगी

Posted via email from हरफनमौला

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